भारत में दीपावली या दीवाली सबसे प्रमुख और लोकप्रिय त्यौहारों में से एक है। यह पर्व अंधकार पर प्रकाश, असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
दीपावली सिर्फ एक दिन का त्योहार नहीं है — यह पाँच दिनों तक चलने वाला आनंद, उल्लास और आध्यात्मिकता से भरा पर्व है।
हर दिन का अपना अलग महत्व, कथा और पूजा-विधि होती है।
आइए जानते हैं दीपावली के इन पाँचों पावन दिनों के पीछे की कहानी और परंपरा।
Day 1. धनतेरस (Dhanteras) – स्वास्थ्य और समृद्धि का दिन
तिथि: कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी
दीपावली की शुरुआत धनतेरस से होती है। इस दिन भगवान धनवंतरि (जो भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं) समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।
इसलिए इस दिन स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना के साथ भगवान धनवंतरि और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
लोग इस दिन सोना, चाँदी, बर्तन या नई वस्तुएँ खरीदते हैं — ऐसा करने से वर्षभर घर में लक्ष्मी का वास होता है, ऐसा माना जाता है।
🪙 प्रमुख मान्यता:
“धनतेरस के दिन जो भी नया बर्तन या धन खरीदा जाए, वह घर में सुख-समृद्धि लाता है।”
Day 2. नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली (Chhoti Diwali)
तिथि: कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था।
कथा के अनुसार, नरकासुर ने 16,000 देवकन्याओं को बंदी बना लिया था। श्रीकृष्ण ने उन्हें मुक्त कराकर धर्म की पुनः स्थापना की।
इसी कारण यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।
लोग इस दिन प्रातःकाल स्नान करते हैं, शरीर पर तेल मलते हैं, घर की सफाई करते हैं और दीपक जलाकर नकारात्मकता को दूर करते हैं।
✨ आध्यात्मिक अर्थ:
यह दिन हमें सिखाता है कि जब हम भीतर की ‘अहंकार’ और ‘लोभ’ रूपी बुराई का नाश करते हैं, तभी सच्ची रोशनी हमारे जीवन में आती है।
Day 3. दीपावली या लक्ष्मी पूजन (Main Diwali Day)
तिथि: कार्तिक अमावस्या
यह दीपावली का मुख्य और सबसे पवित्र दिन होता है।
कथा के अनुसार, इसी दिन भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने दीपक जलाकर पूरी नगरी को रोशनी से भर दिया था।
इसलिए इस दिन को प्रकाश पर्व कहा जाता है।
इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर की पूजा की जाती है।
लोग घरों को दीपक, रंगोली, फूल और रोशनी से सजाते हैं।
शाम को लक्ष्मी पूजन किया जाता है ताकि घर में धन, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।
🌼 “दीपावली का दीप केवल घर नहीं, मन का अंधकार भी मिटाता है।”
Day 4. गोवर्धन पूजा (Annakoot)
तिथि: कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा
दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा मनाई जाती है।
कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने इंद्र देव के अहंकार को दूर करने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया और गोकुलवासियों को वर्षा से बचाया।
इसलिए इस दिन लोग गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं और अन्नकूट तैयार करते हैं — यानी विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाकर भगवान कृष्ण को अर्पित करते हैं।
🐄 गोवर्धन पूजा का महत्व:
यह दिन हमें सिखाता है कि हमें प्रकृति, अन्न और गौमाता का सम्मान करना चाहिए क्योंकि यही हमारे जीवन का आधार हैं।
Day 5. भैया दूज (Bhai Dooj) – भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक
तिथि: कार्तिक शुक्ल द्वितीया
दीपावली का अंतिम दिन भैया दूज के नाम से जाना जाता है।
कथा के अनुसार, यमराज अपनी बहन यमुनाजी के घर इस दिन पधारे थे। बहन ने उनका सत्कार किया और तिलक लगाया।
यमराज ने प्रसन्न होकर कहा —
“जो भाई इस दिन अपनी बहन के साथ मथुरा विश्राम घाट यमुना जी में स्नान करके तिलक कराएगा, उसकी आयु लंबी होगी।”
इस दिन बहनें भाइयों के माथे पर तिलक करती हैं, उनकी दीर्घायु की कामना करती हैं और भाई बहन को उपहार देते हैं।
👫 यह दिन प्रेम, सुरक्षा और विश्वास का प्रतीक है।
✨ दीपावली का समग्र संदेश
दीपावली हमें यह सिखाती है कि अंधकार चाहे कितना भी गहरा क्यों न हो, एक छोटा दीपक भी उसे मिटा सकता है।
यह त्योहार केवल बाहर के दीप जलाने का नहीं, बल्कि अपने भीतर ज्ञान और प्रेम का दीप प्रज्वलित करने का प्रतीक है।
“जहाँ दीप जलता है, वहाँ आशा जगती है।
जहाँ आशा होती है, वहाँ सफलता स्वयं आती है।”
